न्यूलैंड का अष्टक का सिद्धांत
वर्ष 1864 में ब्रिटिश रसायनशास्त्री जॉन न्यूलैंड् ने उस समय समय ज्ञात 62 तत्वों को वर्गीकृत करने का प्रयास किया। उन्होंने उन तत्वों को उनके परमाणु भार के आरोही क्रम में आयोजित किया और पाया कि उनमें से हर आठवें तत्व के गुणधर्म समान थे। इस तथ्य के आधार पर न्यूलैंड का अष्टक सिद्धांत दिया गया।
अष्टक सिद्धांत के अनुसार यदि तत्वों को उनके परमाणु भार के आरोही क्रम में आयोजित किया जाए तो हर आठवें तत्व के गुण धर्म समान होंगे।
न्यूलैंड ने तत्वों की तुलना संगीत के सात सुरों से की, जिसमे हर आठवाँ सुर पहले सुर के समान होता है। हालांकि इस कोशिश की वैज्ञानिक समाज में आलोचना भी हुई।
अष्टक सिद्धांत की कमियाँ
अष्टक सिद्धांत की मुख्य कमियाँ निम्न हैं:
1) न्यू लैंड ने कई तत्वों को अपनी सारणी के एक ही एक ही कोष्ठ में रख दिया। उदाहरण के लिए, कोबाल्ट एवं निकल को एक ही कोष्ठ में रखा गया था।
2) कई भिन्न गुण धर्म वाले तत्वों को एक ही समूह में रखा गया था। उदाहरण के लिए कोबाल्ट, निकल एवं प्लैटिनम।
3) अष्टक सिद्धांत केवल कॅल्शियम तक ही लागू होता था। उससे अधिक परमाणु भार वाले तत्वों को अष्टक में समायोजित नहीं किया जा सका।
4) बाद में खोजे गए तत्वों को इसमे समायोजित नहीं किया जा सका।